गृहसà¥à¤¥ आशà¥à¤°à¤® पर महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के कà¥à¤› गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤¯ विचार
Author
Manmohan Kumar AryaDate
17-Feb-2016Language
HindiTotal Views
2442Total Comments
0Uploader
UmeshUpload Date
18-Feb-2016Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सिदà¥à¤§ योगी और बाल बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समसà¥à¤¤ वेदों à¤à¤µà¤‚ वैदिक साहितà¥à¤¯ का तलसà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶à¥€ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया था और अपनी ऊहापोह व तरà¥à¤•à¤£à¤¾ शकà¥à¤¤à¤¿ से उसका मनà¥à¤¥à¤¨ कर सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ विचारों व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को पृथक-पृथक किया था। देश हित में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वेदों का उदà¥à¤§à¤¾à¤° व समाज सà¥à¤§à¤¾à¤° के अनेकानेक कारà¥à¤¯ किये जिससे देश व समाज को अà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ लाठहà¥à¤† और वह अनेक à¤à¤¾à¤µà¥€ कठिन व जटिल विपदाओं से बच गया। उनके बाद उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से इतर लोगों में उन जैसा जà¥à¤žà¤¾à¤¨, सामरà¥à¤¥à¥à¤¯, सोच, योजना, तà¥à¤¯à¤¾à¤— व समरà¥à¤ªà¤£ न होने के कारण उनका वह सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ आज à¤à¥€ अधूरा है। आज देश के जो हालात हैं, वह à¤à¤¾à¤°à¤¤ के इतिहास का à¤à¤• कठिनतम दौर है और à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ कà¥à¤¯à¤¾ होगा? यह अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ लगाना कठिन है जिसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अनेक आशंकायें हैं। आज इतना ही कहना समीचीन है कि सà¤à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¤• जà¥à¤Ÿ होना होगा और छदà¥à¤® राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बेनकाब कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वैचारिक आधार पर परासà¥à¤¤ करना होगा।
वैदिक आशà¥à¤°à¤® वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯, गृहसà¥à¤¥, वानपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥ और संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ आशà¥à¤°à¤® को लेकर अनेकानेक à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ रही हैं जिनका निराकरण नहीं हो पा रहा था। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी ने अपने समय में अपने अपूरà¥à¤µ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से सà¤à¥€ à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का निराकारण किया। आशà¥à¤°à¤® वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में गृहसà¥à¤¥à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® पर आपने अपने बहà¥à¤®à¥‚लà¥à¤¯ विचार पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किये हैं जिन पर इस लेख में दृषà¥à¤Ÿà¤¿ डाल रहे हैं। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ करते हैं कि गृहसà¥à¤¥à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® अनà¥à¤¯ तीन बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯, वानपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥ और संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ आशà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में सब से छोटा है वा बड़ा है? इसका उतà¥à¤¤à¤° देते हà¥à¤ वह कहते हैं कि अपने-अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚ में सब आशà¥à¤°à¤® बड़ेॠहैं। परनà¥à¤¤à¥--
यथा नदीनदाः सरà¥à¤µà¥‡ सागरे यानà¥à¤¤à¤¿ संसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤®à¥à¥¤
तथैवाशà¥à¤°à¤®à¤¿à¤£à¤ƒ सरà¥à¤µà¥‡ गृहसà¥à¤¥à¥‡ यानà¥à¤¤à¤¿ संसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤®à¥à¥¤à¥¤1।।
यथा वायà¥à¤‚ समाशà¥à¤°à¤¿à¤¤à¥à¤¯ वतà¥à¤°à¥à¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥‡ सरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤¤à¤µà¤ƒà¥¤
तथा गृहसà¥à¤¥à¤®à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤¿à¤¤à¥à¤¯ वतà¥à¤°à¥à¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥‡ सरà¥à¤µà¤‚ आशà¥à¤°à¤®à¤¾à¤ƒà¥¤à¥¤2।।
उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ दोनों शà¥à¤²à¥‹à¤• मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के हैं। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने इस पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग में अपने पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के चतà¥à¤°à¥à¤¥ समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में अनà¥à¤¯ दो शà¥à¤²à¥‹à¤• à¤à¥€ दिये हैं। इन चारों शà¥à¤²à¥‹à¤•à¥‹à¤‚ का अरà¥à¤¥ करते हà¥à¤ वह कहते हैं कि जैसे नदी और बड़े-बड़े नद तब तक à¤à¥à¤°à¤®à¤£ करते व बहते ही रहते हैं जब तक समà¥à¤¦à¥à¤° को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं होते, वैसे गृहसà¥à¤¥ ही के आशà¥à¤°à¤¯ से सब आशà¥à¤°à¤® सà¥à¤¥à¤¿à¤° रहते है।।1।। बिना इस आशà¥à¤°à¤® के किसी आशà¥à¤°à¤® का कोई वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° सिदà¥à¤§ नहीं होता।।2।। जिस से बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€, वानपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥ और संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ तीन आशà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ को गृहसà¥à¤¥à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤®à¥€ दान और अनà¥à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ देके पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ ही धारण करते हैं इससे गृहसà¥à¤¥ जà¥à¤¯à¥‡à¤·à¥à¤ ाशà¥à¤°à¤® है, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सब वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में धà¥à¤°à¤¨à¥à¤§à¤° कहलाता है। इसलिये जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ वा सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤· अकà¥à¤·à¤¯ मोकà¥à¤· और संसार के सà¥à¤– की इचà¥à¤›à¤¾ करता हो वह पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ से गृहाशà¥à¤°à¤® को धारण करे। यह गृहाशà¥à¤°à¤® दà¥à¤°à¥à¤¬à¤²à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ à¤à¥€à¤°à¥ और निरà¥à¤¬à¤² पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ से धारण करने से अयोगà¥à¤¯ है। इसको (बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€à¤—ण) अचà¥à¤›à¥‡ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से वरण कर धारण करें। यह मनà¥à¤œà¥€ के विचार व आदेश हैं। मनॠजी के इन विचारों को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ करते हà¥à¤ कहते हैं कि इस कारण से जितना कà¥à¤› वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° संसार में है उस का आधार गृहसà¥à¤¥à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® है। जो यह गृहाशà¥à¤°à¤® न होता तो सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के न होने से बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯, वानपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥ और संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ आशà¥à¤°à¤® कहां से हो सकते? जो कोई गृहाशà¥à¤°à¤® की निनà¥à¤¦à¤¾ करता है वही निनà¥à¤¦à¤¨à¥€à¤¯ है और जो पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा करता है वही पà¥à¤°à¤¶à¤‚सनीय है। परनà¥à¤¤à¥ गृहाशà¥à¤°à¤® में तà¤à¥€ सà¥à¤– होता है जब सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¥à¤· दोनों परसà¥à¤ªà¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨, पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ और सब पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾ हों। इसलिये गृहाशà¥à¤°à¤® के सà¥à¤– का मà¥à¤–à¥à¤¯ कारण बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ और सà¥à¤µà¤¯à¤‚वर (वर-वधॠदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ विवेकपूरà¥à¤µà¤• सà¥à¤µà¤¯à¤‚ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤) विवाह है।
वैवाहिक जीवन में संयम रखने और बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ का पालन करने की ओर à¤à¥€ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ गृहसà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिलाते हैं। वह कहते हैं कि गृहसà¥à¤¥ के सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ व पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिये कि उनके शरीर में सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने के ईशà¥à¤µà¤° ने जो पदारà¥à¤¥ रज व वीरà¥à¤¯ बनाये हैं उनको वह अमूलà¥à¤¯ समà¤à¥‡à¥¤ जो कोई इस अमूलà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥ को परसà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, वेशà¥à¤¯à¤¾ वा दà¥à¤·à¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के संग में खोते हैं वे महामूरà¥à¤– होते हैं। किसान वा माली मूरà¥à¤– होकर à¤à¥€ अपने खेत वा वाटिका के विना अनà¥à¤¯à¤¤à¥à¤° बीज नहीं बोते। जब साधारण बीज और मूरà¥à¤– किसान वा माली का à¤à¤¸à¤¾ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ है तो जो सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® मनà¥à¤·à¥à¤¯-शरीर रूप के बीज को कà¥à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में खोता है वह महामूरà¥à¤– कहाता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उस का उतà¥à¤¤à¤® फल उस मानव बीज की महतà¥à¤¤à¤¾ न समà¤à¤¨à¥‡ वाले को नहीं मिलता। ‘आतà¥à¤®à¤¾ वै जायते पà¥à¤¤à¥à¤°à¤ƒ’ यह बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ और निमà¥à¤¨ शà¥à¤²à¥‹à¤• सामवेद के बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ का है।
अंगादंगातॠसमà¥à¤à¤µà¤¸à¤¿ हृदयादधि जायसे।
आतà¥à¤®à¤¾à¤¸à¤¿ पà¥à¤¤à¥à¤° मा मृथाः स जीव शरदः शतमà¥à¥¤à¥¤
इस शà¥à¤²à¥‹à¤• में पिता कहता है कि हे पà¥à¤¤à¥à¤° ! तू अंग -अंग से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ वीरà¥à¤¯ से और हृदय से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होता है। इसलिये तू मेरा आतà¥à¤®à¤¾ है, मà¥à¤ से पूरà¥à¤µ मत मरना किनà¥à¤¤à¥ सौ वरà¥à¤· तक जीवत रहना। जिस पौरूष शकà¥à¤¤à¤¿ वीरà¥à¤¯ से à¤à¤¸à¥‡-à¤à¤¸à¥‡ महातà¥à¤®à¤¾ और महाशयों के शरीर उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होते हैं उस को वैशà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ दà¥à¤·à¥à¤Ÿ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में बोना वा दà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¬à¥€à¤œ अचà¥à¤›à¥‡ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में बà¥à¤µà¤¾à¤¨à¤¾ महापाप का काम है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने इन पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में जो बात कही है वह चिकितà¥à¤¸à¤¾à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤° और वैदिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· है और सदाचार का आधार है।
à¤à¤• समय था जब यूरोप में लोग बिना विवाह किये सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾à¤šà¤¾à¤° करते थे। तब वहां के à¤à¤• सदाचारी पà¥à¤°à¥‚ष वैलेणà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤¨ ने आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ किया और लोगों को विवाह के लिठसहमत किया था। वैलेणà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤¨ अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ में ही मृतà¥à¤¯à¥ का गà¥à¤°à¤¾à¤¸ बन गये थे अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ वह इस दिशा और बहà¥à¤¤ कारà¥à¤¯ करते। उनके नाम पर ही वैलेणà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤¨ दिवस मनाया जाता है परनà¥à¤¤à¥ उनकी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को à¤à¥à¤²à¤¾ दिया गया है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में विवाह का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि काल में ही वेदों की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं के आधार पर असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आ गया था। अनेक दà¥à¤°à¥à¤®à¤¤à¤¿ लोग à¤à¥€ विवाह के विषय में समय-समय पर पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ उठाते रहते हैं। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने à¤à¥€ इन पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ को उठाया और उनके उतà¥à¤¤à¤° दिये हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ किया है कि विवाह कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ करना चाहिये? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इस से सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¥à¤· को बनà¥à¤§à¤¨ में पड़के बहà¥à¤¤ संकोच करना और दà¥à¤ƒà¤– à¤à¥‹à¤—ना पड़ता है इसलिये जिस के साथ जिस की पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ हो तब तक वह मिले रहें, जब पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ छूट जाय तो छोड़ देवें? इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का उतà¥à¤¤à¤° देते हà¥à¤ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ कहते हैं कि यह पशॠपकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° है, मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का नहीं। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में विवाह का नियम न रहे तो गृहाशà¥à¤°à¤® के अचà¥à¤›à¥‡-अचà¥à¤›à¥‡ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° सब नषà¥à¤Ÿ à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿ हो जायें। कोई किसी की सेवा à¤à¥€ न करे। और महावà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤šà¤¾à¤° बढ़ कर सब रोगी निरà¥à¤¬à¤² और अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ होकर शीघà¥à¤°-शीघà¥à¤° मर जायें। कोई किसी से à¤à¤¯ व लजà¥à¤œà¤¾ न करे। वृदà¥à¤§à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® में कोई किसी की सेवा à¤à¥€ नहीं करे और महावà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤šà¤¾à¤° बढ़ कर सब रोगी निरà¥à¤¬à¤² और अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ होकर कà¥à¤²à¥‹à¤‚ के कà¥à¤² नषà¥à¤Ÿ हो जायें। कोई किसी के पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ वा दायà¤à¤¾à¤—ी à¤à¥€ न हो सके और न किसी का किसी पदारà¥à¤¥ पर दीरà¥à¤˜à¤•à¤¾à¤²à¤ªà¤°à¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सà¥à¤µà¤¤à¥à¤µ वा अधिकार रहे, इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ दोषों के निवारणारà¥à¤¥ विवाह ही होना सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ योगà¥à¤¯ है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने विवाह के पकà¥à¤· में इन तरà¥à¤•à¥‹à¤‚ को देकर विवाह विषयक कà¥à¤¤à¤°à¥à¤• करने वालों के मà¥à¤‚ह पर ताला लागा दिया है। आज के समाज में लिवइनरिलेशन व होमोसेकà¥à¤¸à¥à¤…लिटी के अमरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤, ईशà¥à¤µà¤° व सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के नियमों के विरà¥à¤¦à¥à¤§, वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° व मांगों के परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में à¤à¥€ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ का विवाह के समरà¥à¤¥à¤¨ में दिया गया उतà¥à¤¤à¤° विचारणीय à¤à¤µà¤‚ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हैं।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी ने गृहसà¥à¤¥à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® के विषय में सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के चतà¥à¤°à¥à¤¥ समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ सहित संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¿à¤§à¤¿ व अपने वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ में बहà¥à¤¤ ही महतà¥à¤µà¥‚परà¥à¤£ विचारों व वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है जो आज à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक à¤à¤µà¤‚ उपादेय हैं। अनेक वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने à¤à¥€ इस विषय में कà¥à¤› लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की रचना की है जिनसे लाठउठाया जा सकता है। आधà¥à¤¨à¤¿à¤• यà¥à¤— में महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जाति के सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• हितैषी महापà¥à¤°à¥‚ष हà¥à¤ हैं। विवाह की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का आरमà¥à¤ वेदों से संसार में हà¥à¤† है जिसको इस पृथिवी के सà¤à¥€ à¤à¥‚à¤à¤¾à¤—ों के लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपनाया गया। कालानà¥à¤¤à¤° में विवाह विषयक कà¥à¤› नियमों व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को लोग à¤à¥‚ल बैठे थे जिससे अनेक समसà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆà¤‚। आज महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने विवाह विषयक सà¤à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं à¤à¤µà¤‚ गृहसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ व गृहसमà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤žà¥€ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पति व धरà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€ के विषय में विवाह की अरà¥à¤¹à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚, गà¥à¤£à¤•à¤°à¥à¤®à¤¸à¥à¤µà¤à¤¾à¤µ की समानता, आयà¥à¤à¥‡à¤¦, गृहसà¥à¤¥ आशà¥à¤°à¤® में पति व पतà¥à¤¨à¥€ के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ वा दायितà¥à¤µ आदि विषयों पर पड़े अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ व रूढि़वाद के आवरण को हटा दिया है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के विचार सà¤à¥€ मतों व धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ के लोगों के लिठउपादेय व पà¥à¤°à¤—तिसूचक हैं। सà¤à¥€ को इनका अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर इनसे लाठउठाना चाहिये।
ALL COMMENTS (0)